चार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने देखा बड़ा उलटफेर, जयराम भी चख चुके हैं हार का स्वाद
बाघल टाइम्स
शिमला ब्यूरो (12 अप्रैल) पहाड़ की सियासत ने बड़े उलटफेर देखे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर ऐसे बड़े नाम हैं, जिन्हें लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
इन दिग्गजों के अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चौधरी श्रवण कुमार, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल और कृषि मंत्री चंद्र कुमार दो या इससे ज्यादा बार लोकसभा का चुनाव हारे थे। राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबी पारी खेलने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को 1977 में मंडी संसदीय क्षेत्र से 35 हजार 505 वोटों की बड़ी हार झेलनी पड़ी थी। उन्हें बीएलडी के नेता गंगा सिंह ने इस चुनाव में हराया था।
गंगा सिंह को एक लाख 38 हजार 143 वोट मिले थे, तो वीरभद्र सिंह को एक लाख दो हजार 638 वोट पड़े थे। इससे पूर्व वीरभद्र सिंह महासू और मंडी सीट से तीन बार सांसद रह चुके थे।
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार को लोकसभा के चुनाव में दो बार हार का सामना करना पड़ा है। 1996 और 2004 में भाजपा के दिग्गज नेता को हार मिली थी। 1996 के लोकसभा चुनाव में शांता कुमार 37 हजार 524 वोटों से चुनाव हारे थे। उन्हें कांग्रेस के सत महाजन से यह हार मिली थी। इस चुनाव में सत महाजन को दो लाख 63 हजार 817 वोट, जबकि शांता कुमार को दो लाख 26 हजार 293 वोट मिले थे।
पूर्व मुख्यमंत्री राजनीतिक पारी में दूसरा आम चुनाव 2004 में हारे। इस चुनाव में उनके सामने मौजूदा कृषि मंत्री चंद्र कुमार मैदान में थे। चंद्र कुमार ने शांता कुमार को 17 हजार 791 मतों के अंतर से हराया था। चंद्र कुमार ने इस चुनाव में तीन लाख 14 हजार 555 वोट हासिल किए थे, जबकि शांता कुमार को दो लाख 96 हजार 764 वोट मिले थे।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी हार की गाज से बच नहीं पाए थे। उन्हें 1984 और 1996 में हार का सामना करना पड़ा था। 1984 में नारायण चंद ने प्रेम कुमार धूमल को एक लाख 24 हजार 933 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में नारायण चंद पराशर को दो लाख 42 हजार 214 वोट मिले थे। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को दूसरी मर्तबा सेवानिवृत्त मेजर जनरल विक्रम सिंह ने 1996 में पराजित किया।
इस चुनाव में प्रेम कुुमार धूमल को 15 हजार 113 वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था। मेजर जनरल विक्रम सिंह को दो लाख 43 हजार 39 वोट मिले थे, जबकि प्रेम कुमार धूमल को दो लाख 27 हजार 926 वोट हासिल कर पाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मंडी संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में एक हार झेल चुके हैं।
2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने उन्हें हराया था। प्रतिभा को इस चुनाव में तीन लाख 53 हजार 492 वोट मिले थे, जबकि जयराम ठाकुर को दो लाख 16 हजार 765 वोट मिल पाए थे। दोनों के बीच जीत और हार का अंतर एक लाख 36 हजार 727 वोट का था।
प्रतिभा सिंह को दो बार मिली हार
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह मंडी संसदीय क्षेत्र से दो बार चुनाव में हार का मुंह देख चुकी हैं। प्रतिभा सिंह को 1998 के लोकसभा चुनाव में प्रतिभा सिंह को भाजपा के महेश्वर सिंह ने एक लाख 31 हजार 832 मतों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में महेश्वर सिंह को तीन लाख 25 हजार 929 वोट, जबकि प्रतिभा सिंह को एक लाख 72 हजार 338 वोट मिले थे, जबकि दूसरी बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने प्रतिभा सिंह को 39 हजार 856 वोट के अंतर से हराया था।
स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल 2009 और 2019, कृषि मंत्री चंद्र कुमार को 2009 और 2014 में हार का सामना करना पड़ा था।
श्रवण कुमार भी दो बार पराजित
कांगड़ा की राजनीति के बड़े चेहरे चौधरी श्रवण कुमार को हार का सामना करना पड़ा था। 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 30 हजार 930 वोट के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें एक लाख 18 हजार 16 वोट, जबकि विक्रम चंद महाजन ने एक लाख 48 हजार 946 वोट हासिल किए थे।
1984 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी ने श्रवण कुमार को एक लाख 17 हजार 433 वोटों के अंतर से हराया। चंद्रेश कुमारी को 2 लाख 32 हजार 287 मत हासिल किए थे, जबकि श्रवण कुमार को एक लाख 14 हजार 854 वोट हासिल किए थे। इसके बाद श्रवण कुमार ने पालमपुर से चुनाव लड़ा। जीतने के बाद वे विधानसभा के अध्यक्ष पद तक पहुंचे थे।