राज्यपाल शिव प्रसाद शुक्ल ने देशराजीय पंचाग का किया विमोचन

राज्यपाल शिव प्रसाद शुक्ल ने देशराजीय पंचाग का किया विमोचन

बाघल टाइम्स

शिमला ब्यूरो  ( 21 दिसंबर ) शुक्रवार को राज्यपाल शिव प्रसाद शुक्ल ने गीता जयंती दिवस पर विज्ञान सम्मत, वैदिक गणितीय गणनाओं पर आधारित, भारतीय संस्कृति का संरक्षक एवं संवर्धक देशराजीय-पचांग (कैलेंडर) विक्रम संवत् 2081 (सन् 2024-25 ई०) का विमोचन किया।

इस पचांग कैलेंडर में सर्वप्रथम देवनागरी अंकों में प्रविष्टे फिर अंग्रेजी तारीख और दोनों के मूल में प्रतिपदा, द्वितीया आदि तिथियां व्यवस्थित हैं।

इसमें वर्ष भर के सभी व्यवहारोपयोगी तिथि-त्यौहार, व्रत-पर्व तथा सरकार द्वारा घोषित अवकाशा आदि दर्शाए गए हैं।

इसके अतिरिक्त सभी सनातन धर्मावलंबी गृहस्थियों के लिए उपयोगी वर्ष भर के सभी शुभ तिथि- त्यौहार, नवरात्र, पञ्चक, संक्रान्ति, एकादशी व्रत, सत्यनारायण पूर्णिमा, व्रत-पर्वों आदि तथा गुरु – शुक्रास्त, श्राद्धपक्ष , भीष्मपंचक, होलाष्टकादि को भी विशेष विविध आकर्षक रंगों की पहचान के साथ सुव्यवस्थित रूप से अंकित किया गया है।

यह पचांग- कैलेंडर खगोलीय गणितीय गणनाओं के वैज्ञानिक तथ्यों का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

इसमें समस्त तिथि त्यौहार एवं व्रतपर्व ज्योतिष शास्त्रीय सूक्ष्म कालगणना के अनुसार निर्णय पूर्वक संकलित हैं।

पंचांग का संपादक मण्डल प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों से भी विद्यार्थियों के माध्यम से इसे हर घर तक पहुंचाने का आह्वान करता है। जिसके फलस्वरूप हमारी भावी पीढ़ी इस खगोलीय घटनाओं व गणितीय गणनाओं के ज्ञान से परिचित हो सकें।

देश-प्रदेश भर के सभी धार्मिक संगठनों, संघों के धर्माचार्यों, साधु-संतों, कथावाचकों, मंदिर न्यास के प्रशासकीय अधिकारियों, ज्योतिर्विद, पंडित-पुरोहित-आचार्यों से भी यह सादर अपेक्षा की जाती है कि इस पचांग-कैलेंडर को अपने मंदिर, न्यास, संस्थान, संगठन या अपने व्यक्तिगत नाम से प्रकाशित करवाकर इस पंचाग कैलेंडर को हर घर, समिति, संस्था-संस्थान के कार्यालय तक पहुंचाकर सनातन धर्म व संस्कृति के प्रचार -प्रसार के संवाहक बनें।

हम आभारी हैं उन सभी सनातन धर्मावलंबियों, व्यवसायियों के जिन्होंने प्रतिवर्ष इस पचांग- कैलेंडर को अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान के नाम से प्रकाशित करवाकर न केवल सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार का पुनीत कार्य ही नहीं किया बल्कि वैदिक विज्ञान सम्मत शास्त्रीय परंपराओं के प्रचार के साथ-साथ विद्यादान, ज्ञान-दान के इस कार्य को करने के लिए सभी के सहयोग ने प्रोत्साहित किया।

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