
मिसाल- अर्की के मंझली घरनों के ग्रामीणों ने अपने खर्चे से तीन महीने में बना दी सड़क
बाघल टाइम्स

अर्की ब्यूरो (07 मई) छोटी सुविधाओं के लिए सरकार का मुंह ताकने वालों को अर्की के मंझली घरनों के ग्रामीण एक सामाजिक सहभागिता का एक बेहतरीन उदाहरण लेकर आए हैं। गांव के लगभग एक दर्जन से अधिक परिवारों के सदस्यों ने तीन महीने में अपने घरों तक सड़क पहुंचा कर सरकार को भी आईना दिखाया है।

दरअसल अर्की उपमंडल की बखालग पंचायत के मंझली घरनों गांव के एक दर्जन से अधिक परिवारों के घरों तक सड़क सुविधा नहीं थी। वे जब भी सड़क बनाने की मांग करते तो सरकारी नुमाइंदे उन्हें सड़क पर आने वाले खर्च के बड़े-बड़े आंकड़े गिनाने लगते।
हारकर ग्रामीणों ने तय किया कि वे अपने घरों तक सड़क का निर्माण स्वयं करेंगे। फिर क्या था ग्रामीण इकट्ठे हुए और श्रमदान व चंदे से सड़क निर्माण की कवायद शुरू कर दी।
गांववासी विनोद गर्ग ने बताया कि ग्रामीणों को सड़क निर्माण करने में पूरे तीन महीने लग गए। उन्होंने सरकार एवं विभाग की सहायता न लेते हुए स्वयं सड़क का निर्माण कर दिया। गांव की महिलाओं, बच्चों व युवाओं ने श्रमदान से इस सड़क का निर्माण कर साबित कर दिया है अगर मिल-जुलकर किसी काम को किया जाए तो बड़ी से बड़ी बाधा भी काम में रुकावट नहीं डाल सकती।
13 परिवारों को मिला सड़क का उपहार
इस सड़क से गांव के लगभग 13 परिवार लाभान्वित हुए हैं। सड़क के किनारे डंगों को लगाने में लगभग आठ लाख रुपए का खर्च आया, जिसे सभी गांव वालों ने मिलकर वहन किया।
आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों ने दान की उपजाऊ भूमि
600 मीटर लंबी इस सड़क के निर्माण में ग्रामीणों ने अपनी उपजाऊ भूमि खुशी-खुशी दान कर दी। नरेश, परस राम, शिवदत्त गर्ग, कुलदीप, नरेंद्र, देवीराम, मदनलाल व ओमप्रकाश ने सड़क के लिए अपनी जमीन दान की। जिस जमीन पर खेती होती थी।
आठ लाख के लगाए डंगे
सड़क पर जगह-जगह डंगे लगाए गए। इन डंगों को लगाने में लगभग आठ लाख रुपए का खर्च आया जिसे ग्रामीणों ने आपस में चंदा करके जुटाया।