हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् ने संस्कृत भाषा के उत्थान और संरक्षण के लिए केंद्र सरकार तथा लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार संस्कृत भाषा को नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अंतर्गत पुनर्जीवित करने और इसे मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला द्वारा संसद में संस्कृत के प्रयोग को प्रोत्साहित करना, प्रश्न पूछने और उत्तर देने की अनुमति देना, और संस्कृत के संवर्धन के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करना अत्यंत सराहनीय है। इससे न केवल भारत के प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों की प्रासंगिकता बनी रहेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी संस्कृत अध्ययन के प्रति प्रेरणा मिलेगी।
सस्कृत विरोधी मानसिकता स्वीकार नहीं
संस्कृत शिक्षक परिषद् ने स्पष्ट रूप से कहा कि संस्कृत विरोधी मानसिकता भारत विरोधी मानसिकता के समान है, क्योंकि यह भाषा भारत की आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उन्नति का प्रतीक रही है। उन्होंने कहा कि डीएमके नेता का यह बयान तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए भारतीय संस्कृति को कमजोर करने का प्रयास है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने सरकार से मांग की कि संस्कृत भाषा का अनादर करने वाले लोगों के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाए और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीतियाँ बनाई जाएँ।