
बाघल टाइम्स
शिमला ब्यूरो (25दिसंबर) हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स यूनियन सम्बंधित सीटू राज्य कमेटी की बैठक किसान-मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में सम्पन्न हुई। सीटू प्रदेशाध्यक्ष
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया कि मध्याह्न भोजन कर्मी अपनी मांगों को लेकर 23-24 फरवरी 2022 को दो दिन की हड़ताल करेंगे।

कहा कि देश की मोदी सरकार मजदूर वर्ग पर तीखे हमले जारी रखे हुए है। मजदूरों के श्रम कानूनों को खत्म किया जा रहा है। देश की सरकार की नवउदारवादी नीतियों के चलते देश की जनता का जीवन संकट में चले गया है। महँगाई लगातार बढ़ रही है जिससे आम जनता का जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है। बेरोजगारी ने पिछले 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। केंद्र सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की शर्त के अनुसार योजना मजदूरों को मजदूर का दर्जा देने, पेंशन, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य आदि सुविधा को लागू नहीं कर रही है। केंद्र में रही सरकारों ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक रुपये की बढ़ोतरी भी अभी तक नहीं की है बल्कि मोदी सरकार तो इस योजना को कॉरपोरेट कम्पनियों के हवाले करना चाहती है। यही कारण है कि इस योजना के बजट में लगातार कटौती की जा रही है।
मोदी सरकार मिड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना करके इसे खत्म करना चाहती है। सरकार मिड डे मिल योजना में केंद्रीय रसोई घर व डीबीटी शुरू कर रही है। स्कूलों में मिड डे मील के खाते बंद कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आई है, जिसके चलते बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे। यह सब करके भाजपा सरकार मिड डे मील वर्कर्स के रोजगार को खत्म करना चाहती है जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा
यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष महेंद्र सिंह व महासचिव हिमी देवी ने कहा है कि केंद्र सरकार मिड डे मिल वर्करों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है व मिड डे मील वर्करज़ को मजदूर दर्जा सरकार नहीं दे रही है। राज्य में मिड डे मील वर्करों को 2600 रूपये मिलते हैं,वह भी समय पर नहीं मिल रहा है।
