अर्की अस्पताल में प्रसव में लापरवाही, नवजात की मौत,परिजनों का अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप, नहीं थे डॉक्ट

अर्की अस्पताल में प्रसव में लापरवाही, नवजात की मौतपरिजनों का अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप। 

बाघल टाइम्स

अर्की ब्यूरो /नागरिक चिकित्सालय अर्की में डिलिवरी के पश्चात एक नवजात शिशु की मृत्यु का कश्लोग निवासी हरीश कुमार ने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया है एसडीएम अर्की को दी गई शिकायत में हरीश कुमार ने बताया है कि 30 जून को डिलीवरी के लिए उनकी पत्नी रश्मि को अर्की अस्पताल में एडमिट किया था इसके बाद 1 जुलाई को प्रसव पीड़ा का इंजेक्शन दिया गया। दोपहर बाद उसे लेबर रूम में ले जाया गया लेकिन वहां पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था! आरोप है कि  डिलीवरी के समय बच्चे ने जन्म लेना शुरू किया और इस दौरान नर्सें बच्चे को बाहर की ओर खींचने लगी! जिस कारण बच्चे के सिर और गर्दन पर नीले निशान पड़ने लगे और नवजात की माँ बेहोश हो गई!

शिकायत कर्ता के अनुसार करीब 5:00 बजे डॉक्टर पहुंचा तब तक उनकी पत्नी  रश्मि बेहोश हो गई थी! जिसके बाद उसे लेबर रूम से ओटी (ओप्रेशन थियेटर) ले गए!

 

इस दौरान नवजात की गर्दन बाहर थी और खिचा तानी के कारण नीली पड़ चुकी थी डिलीवरी के बाद महिला और नवजात की नाजुक स्थिति को देख चिकित्सक ने उसे आईजीएमसी शिमला के लिए रेफर कर दिया जहाँ नवजात को पीआईसीयू मे भर्ती किया गया! लेकिन कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई। 

हरीश कुमार ने बताया कि इलाज के दौरान उन्हें आईजीएमसी में चिकित्सक ने बताया कि डिलीवरी के दौरान  खीच तान और सिजेरियन न करने के चलते बच्चे की जान को खतरा हो सकता है । और 6 दिन बाद नवजात की मौत हो गई और जिसके बाद उनका पूरा परिवार सदमे में है। 

हरीश ने नवजात की मौत का कारण अर्की अस्पताल प्रशासन की लापरवाही बताया है। 

    क्या कहते हैं अधिकारी? 

कार्यकारी एसडीएम विपिन वर्मा ने बताया कि अस्पताल में लापरवाही से जुड़ा एक मामला उनके संज्ञान में आया है जिसकी कार्रवाई के लिए थाना अर्की के लिए भेज दिया है।

 

उधर खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मुक्ता रस्तोगी ने बताया कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। तथा जाँच करने के बाद ही वह कुछ बता पाएंगी। 

One thought on “अर्की अस्पताल में प्रसव में लापरवाही, नवजात की मौत,परिजनों का अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप, नहीं थे डॉक्ट

  1. Tt appears negligence on the part of hospital authorities and matter should be enquired। If found guilty on their part stern action should be initiated in public interest by competent authority.

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