
9 May 2021
बाघल टाइम्स
दाड़लाघाट

चल्यावण बस्याणा,छटेरा,छाम्ब गांव को पानी की आपूर्ति न किए जाने को लेकर एक शिकायत पत्र हिमाचल प्रदेश कॉरपोरेट सेक्टर शिमला के चैयरमेन देवी लाल ठाकुर के माध्यम से जल शक्ति विभाग ,बागवानी विभाग मन्त्री महेंद्र सिंह ठाकुर को हिमाचल प्रदेश सचिवालय में डाक के माध्यम से भेजा गया।
स्थानीय लोगों ने शिकायत में कहा है कि वे उपरोक्त विषय पर पहले भी लिखित रुप में सूचित कर चुके हैं।
उनके अनुसार 20 जून 2018 को भी पत्र द्वारा इस विषय पर पूर्ण ब्यौरा मंत्री महोदय को दिया गया था।जिस पर आपने अर्धशासकीय पत्र द्वारा सम्बन्धित अधिशाषी अभियन्ता जल शक्ति विभाग को भी आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा था।जिसकी प्रतिलिपी शिकायत कर्ता को प्रेषित की गई है।लोगों ने कहा कि इतना समय बीत जाने के बावजूद विभाग इस बारे आवश्यक कार्यवाही करने में असफल रहा है।

लोगों का कहना है कि छटेरा उठाऊ पेयजल योजना 2003 में शुरु की गई थी। इस योजना के अन्तर्गत लगभग 13 नल अलग-अलग गांव के लिए दिए गए थे,जो अब बढ़कर लगभग 40 नल हो गए हैं।किसी भी ग्रामवासी को नियमित व नियमानुसार पूरा पानी नहीं मिल रहा है,पानी की गति इतनी कम है कि घण्टों नल पर खड़े रहना पड़ता है,पम्प छोटी कपेस्टी का लगाया गया है तथा इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए विभाग द्वारा केवल 10,000 लीटर पानी का टैंक बनाया गया है।
पानी की समस्या बारे वे विभाग के सहायक अभियन्ता दाड़ला से कई बार मिलकर आग्रह कर चुके हैं,लेकिन स्थिति जस की तस है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह टैंक लगभग तीन घण्टे में भरता है, ऑपरेटर टैंक भरने के बाद ताला लगाकर चला जाता है यदि उसे दोबारा पम्प चलाने के लिए कहते हैं तो वह व्यक्ति दुर्व्यवहार करता है।
इससे पहले जो पम्प ऑपरेटर उस समय पानी भरपूर मात्रा में मिलता था।इस पम्प ऑपरेटर के आने के बाद पानी किसी भी गांव में नहीं आ रहा है।लोगों का कहना है कि पानी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
उनके अनुसार चार गांव पानी की भारी किल्लत सह रहे हैं।इन गांव में पानी का अन्य कोई भी स्त्रोत नहीं है जिससे गांव वाले पानी भर सके।स्थानीय लोगों ने मंत्री से आग्रह किया है कि छटेरा उठाऊ पेयजल योजना का नवीनीकरण उन्नयन (अपग्रेडेशन) किया जाये। तथा स्टोरेज टैंक की कपैस्टी 50000 लीटर की जाये। साथ ही बड़ी कपैस्टी का पम्प लगाया जाये।पम्प ऑपरेटर को तुरन्त इस स्कीम से हटाया जाये ताकि ग्रामवासीयों को उचित मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके।