आपदा का जोखिम शिक्षकों के लिए भी उतना ही है जितना कि छात्रों के लिए : संस्कृत शिक्षक परिषद्

आपदा का जोखिम शिक्षकों के लिए भी उतना ही है जितना कि छात्रों के लिए- संस्कृत शिक्षक परिषद्

बाघल टाइम्स

अर्की ब्यूरो (25 अगस्त) हिमाचल प्रदेश में जारी भारी बारिश और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई विकट परिस्थितियों को देखते हुए, हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् ने सरकार का ध्यान एक गंभीर विषय की ओर आकर्षित किया।  भारी बारिश के चलते प्रशासन ने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी स्कूलों में अवकाश घोषित किया है। यह एक सराहनीय कदम है, क्योंकि भूस्खलन, बाढ़ और सड़कों के टूटने जैसी आपदाओं के बीच बच्चों का घर से निकलना बेहद जोखिम भरा है।

लेकिन, यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि यदि यही परिस्थितियाँ छात्रों के लिए असुरक्षित हैं, तो उन्हीं रास्तों से यात्रा करने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए ये सुरक्षित कैसे हो सकती हैं?

कई स्थानों पर सड़कें टूट चुकी हैं, भूस्खलन का खतरा बना हुआ है, और उफनते हुए नाले-खड्ड जीवन के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं। ऐसी स्थिति में, शिक्षकों और कर्मचारियों को स्कूल आने के लिए बाध्य करना उनके जीवन को खतरे में डालना है।

अतः हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् मांग करती है कि जब छात्र ही स्कूल में नहीं हैं, तो शिक्षकों की उपस्थिति का औचित्य क्या है? यह समझना आवश्यक है कि शिक्षक भी इसी समाज का हिस्सा हैं और आपदा का जोखिम उनके लिए भी उतना ही है जितना कि छात्रों के लिए। सुरक्षा का अधिकार केवल छात्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षकों और अन्य स्टाफ सदस्यों का भी है।

 

अतः‌ शिक्षा विभाग इस मामले पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करे और जब-जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तब-तब छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए भी स्कूलों में अवकाश घोषित किए जाएं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow us on Social Media
error: Content is protected !!