दाड़लाघाट कॉलेज में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू।
बाघल टाइम्स
अर्की ब्यूरो : ( 25 अक्तूबर ) राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन “हिमालयन क्षेत्र में आधुनिकीकरण, विकास और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन” विषय पर आयोजित किया जा रहा है।
यह सम्मलेन हिमालयन काउंसिल फॉर साइंटिफिक रिसर्च व राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट के संयुक्त तत्वाधान में 25 व 26 अक्तूबर को ऑनलाइन मोड पर व 28 अक्तूबर ऑफलाइन मोड पर आयोजित किया जा रहा है।
इस मौके पर प्राचार्या डॉ. रुचि रमेश ने अपने संबोधन में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के प्रभारी सहायक आचार्य पुनीत ठाकुर को अग्रिम शुभकामनाएं दी। इस उद्घाटन सत्र में राजकीय महाविद्यालय जुखाला के प्राचार्य डॉ. ध्रुव पाल सिंह मुख्य वक्ता के रूप में शमिल रहे।
डॉ. ध्रुव पाल सिंह ने अपने संबोधन में हिमालय क्षेत्र के विकास, आधुनिकीकरण और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिमालय केवल भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विरासत का प्रतीक है, जिसकी सुरक्षा और संतुलित विकास हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके बाद सम्मलेन के संयोजक सहायक आचार्य पुनीत ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि यह सम्मेलन विश्वभर के शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं को एक साझा मंच प्रदान कर रहा है जहां हिमालय क्षेत्र में हो रहे तीव्र सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय परिवर्तनों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस अवसर पर हिमालयन काउंसिल फॉर साइंटिफिक रिसर्च की सदस्य व सम्मेलन की आयोजन सचिव डॉ. रेणुका थपलियाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह सम्मेलन हिमालयी पारिस्थितिकी और समाज के बीच की जटिल अंतःक्रियाओं को समझने का एक प्रयास है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विकास और संरक्षण के बीच संतुलन ही सतत भविष्य की कुंजी है।
सम्मेलन के प्रमुख उप-विषय हिमालय में प्राकृतिक आपदाओं और विकास से जुड़ी चुनौतियां, हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति–अवसर एवं संभावनाएं, सतत एवं समग्र विकास की रूपरेखा, पर्वतीय अर्थव्यवस्था एवं आजीविका व जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और संरक्षण है।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश के शोधार्थियों, शिक्षकों और विशेषज्ञ भाग लेंगे। इस सम्मेलन के दौरान ऑफलाइन व ऑनलाइन मोड में आठ तकनीकी सत्रों में विभिन्न शोधार्थी अपना शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। उद्घाटन सत्र का संचालन उत्साह और गरिमा के साथ किया गया, जिसमें उपस्थित प्रतिभागियों ने हिमालयी क्षेत्र के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।