दाड़लाघाट कॉलेज में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन, एचपीयू के कुलपति प्रो. महावीर सिंह रहे मुख्य अतिथि।
बाघल टाइम्स
अर्की ब्यूरो : ( 28 अक्तूबर) राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट में आज तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हो गया।
इस सम्मेलन का आयोजन”हिमालयन क्षेत्र में आधुनिकीकरण, विकास और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन” विषय पर केंद्रित रहा। यह सम्मलेन हिमालयन काउंसिल फॉर साइंटिफिक रिसर्च व राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट के संयुक्त तत्वाधान में 25-26 अक्तूबर को ऑनलाइन मोड पर व 28 अक्तूबर को ऑफलाइन मोड पर आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। प्राचार्या डॉ. रुचि रमेश ने अपने संबोधन में मुख्य अतिथि का विधिवत स्वागत करते हुए सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए सम्मलेन के प्रभारी सहायक आचार्य पुनीत ठाकुर को शुभकामनाएं दी।
समापन समारोह में मुख्यातिथि के रूप में हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने शिरकत की। अपने संबोधन में प्रो. महावीर सिंह ने हिमालय क्षेत्र के विकास, आधुनिकीकरण और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता पर बल दिया। हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय के समाजशास्त्र विभाग से कुलपति महोदय की धर्मपत्नी डॉ. किरण सिंह भी इस सम्मेलन में मौजूद रही। कुलपति ने प्राचार्या डॉ. रुचि रमेश व ऑर्गनाइजिंग कमेटी के समस्त सदस्यों को सम्मेलन को सफल समापन पर बधाई दी।
सम्मलेन के संयोजक सहायक आचार्य पुनीत ठाकुर ने तीन दिवसीय सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह सम्मेलन में इजरायल, नेपाल व इटली के शोधकर्ताओं व शिक्षाविदों ने हिमालय क्षेत्र में हो रहे तीव्र सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय परिवर्तनों पर विचार-विमर्श किया।
अतिथि वक्ता के रूप में केंद्रीय विश्विद्यालय हिमाचल प्रदेश से डॉ. विश्व ज्योति ने अपने वक्तव्य में पर्यावरणीय संकट से उत्पन्न सामाजिक चुनौतियों पर बात करते हुए नीति निर्माण में बदलाव की मांग की।
इस अवसर पर वक्ताओं के रूप में हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय से डॉ. अमित गंगोटिया,
यूनिवर्सिटी ऑफ कंब्रिया और यूनाइटेड किंगडम से डॉ. रिचर्ड जॉनसन रहे। इन वक्ताओं ने मुख्य रूप से हिमालय क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, उत्तरदायी पर्यटन, स्थानीय ज्ञान एवं जलवायु लचीलापन, तथा जलवायु न्याय और सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने स्थानीय अनुभवों को वैश्विक विमर्शों से जोड़ते हुए सस्टेनेबिलिटी, क्लाइमेट जस्टिस और नीति सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर हिमालयन काउंसिल फॉर साइंटिफिक रिसर्च की सदस्य व सम्मेलन की आयोजन सचिव डॉ. रेणुका थपलियाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से हिमालयी पारिस्थितिकी और समाज के बीच की जटिल अंतःक्रियाओं को समझने का बेहतर प्रयास किया गया।
सम्मेलन के प्रमुख उप-विषय हिमालय में प्राकृतिक आपदाओं और विकास से जुड़ी चुनौतियाँ, हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति–अवसर एवं संभावनाएं, सतत एवं समग्र विकास की रूपरेखा, पर्वतीय अर्थव्यवस्था एवं आजीविका व जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और संरक्षण रहे।
सम्मेलन के दौरान ऑफलाइन व ऑनलाइन मोड में आठ तकनीकी सत्रों में विभिन्न शोधार्थियों ने 70 शोध-पत्र प्रस्तुत किए। इस मौके पर राजकीय महाविद्यालय जुखाला के प्राचार्य डॉ. ध्रुव पाल सिंह व राजकीय महाविद्यालय चायल कोटी की प्राचार्या डॉ. शिखा भारद्वाज विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल रहे।