घनागुघाट स्कूल के 80 से अधिक छात्रों को पंचायत ने किया सम्मानित

घनागुघाट स्कूल के 80 से अधिक छात्रों को पंचायत ने किया सम्मानित, स्थानीय मेले में बिखेरी थी सांस्कृतिक प्रतिभा

बाघल टाइम्स

अर्की ब्यूरो : ( 20 जुलाई ) अर्की उपमंडल के घनागुघाट की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करते हुए पारंपरिक घनागुघाट मेले में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय घनागुघाट के छात्रों ने अपने शानदार प्रदर्शन से समस्त दर्शकों का मन मोह लिया था।

इस आयोजन में विद्यालय के 80 से अधिक छात्रों ने विभिन्न मंचीय कार्यक्रमों में भाग लेकर अपनी कला, नृत्य, गायन और नाट्य प्रतिभा का अद्वितीय परिचय दिया l

इन्हीं प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के लिए 18 जुलाई को एक विशेष सम्मान समारोह के दौरान ग्राम पंचायत घणागुघाट द्वारा ट्रॉफियों एवं प्रशस्ति-पत्रों के माध्यम से सम्मानित किया गया।

यह समारोह विद्यालय परिसर में पंचायत प्रधान मधुबाला व उप प्रधान प्रवीण कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें विद्यालय के अध्यापक वर्ग, अभिभावकगण एवं पंचायत सदस्यगण उपस्थित रहे।

हिंदी प्रवक्ता सुनीता ठाकुर और अंग्रेजी प्रवक्ता पुष्पेन्द्र कौशिक के मार्गदर्शन में छात्रों ने मंच पर स्थानीय संस्कृति और आधुनिक रंगमंच का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया था जिसे दर्शकों द्वारा बहुत सराहना मिली थी।

प्रधानाचार्य अजय शर्मा, सुनीता ठाकुर व पुष्पेन्द्र कौशिक को मेले के आयोजन में विद्यालय के सक्रिय सहयोग हेतु विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

प्रधानाचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्यालय केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं है बल्कि हम बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसी प्रस्तुतियां न केवल बच्चों में आत्मविश्वास का संचार करती हैं बल्कि हमारी लोक संस्कृति को भी जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

एसएमसी अध्यक्ष प्रवीण कुमार ने भी शिक्षकों एवं छात्रों के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और भविष्य में भी विद्यालय को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया।

सम्मान समारोह में विद्यालय के विद्यार्थियों की उपलब्धियों को दस्तावेजबद्ध किया गया और सभी छात्र-छात्राओं को आकर्षक ट्रॉफियां भेंट कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। 

 

यह आयोजन न केवल विद्यार्थियों के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण था बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए भी प्रेरणादायक रहा कि कैसे सामूहिक प्रयासों से शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक सहभागिता का सुंदर संगम रचा जा सकता है।

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