केवल मात्र भगवा वस्त्र ओढ़ लेना यह संत की पहचान नहीं :साध्वी अनुपमा भारती

बाघल टाइम्स

अर्की ब्यूरो  (28 नवम्बर)दिव्य ज्योति जागृति संस्थान  द्वारा अर्की उपमंडल के दधोगी गांव में दो दिवसीय सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान आशुतोष महाराज जी की शिष्याओं साध्वी अनुपमा भारती तथा साध्वी दीपाली भारती द्वारा सत्संग कार्यक्रम एवं भजन प्रस्तुत किए।साध्वी अनुपमा भारती ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि जिस भी शिष्य को जीवन में पूर्ण संत के रूप में सद्गुरु मिल जाते हैं उसका जीवन सफल हो जाता है।

उन्होंने  विवेकानंद, मीराबाई, ध्रुव,प्रह्लाद तथा धन्ना जाट के जीवन प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सद्गुरु के मिलते ही इनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया तथा ये सभी हम सभी के लिए आदर्श चरित्र बन गए। साध्वी भारती ने कहा कि केवल मात्र भगवा वस्त्र ओढ़ लेना यह संत की पहचान नहीं है असली संत तो आत्मा से परमात्मा का मिलन करवाने में सक्षम होता है। पूर्ण संत सांसारिक चमत्कार नहीं बल्कि आंतरिक जगत में ईश्वर का साक्षात्कार करवाते हैं यही उनकी शास्त्र वर्णित पहचान है। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिकता चकाचौंध तथा बनावटी दुनिया ने नारी शक्ति को भी प्रभावित किया है। बहुत से घरों में युवा माताएं अपने बच्चों को सही संस्कार नहीं दे पा रही हैं और ना ही स्वयं उन पर चल रही हैं, ऐसे में आने वाली पीढ़ियों से हम किस तरह सुसंस्कृत होने की उम्मीद रख सकते हैं।

 

आज के समय में टेंशन, दुख तथा अन्य समस्याओं के चलते मनुष्य शराब या अन्य नशों की तरफ रुख कर लेता है जबकि इन सब समस्याओं का समाधान ब्रह्म ज्ञान  है। मनुष्य को वेद तथा शास्त्रों में वर्णित कसौटी लेकर पूर्ण सतगुरु की तलाश करनी चाहिए ताकि मनुष्य जन्म की प्राप्ति को सार्थक किया जा सके।

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